तुम मेरी अर्जित अकूत सम्पदा बनो तुम अपने राम की श्री बनो ! तुम मेरी अर्जित अकूत सम्पदा बनो तुम अपने राम की श्री बनो !
जन का कल्याण करते हो जन- जन गायें नाम तेरा। जन का कल्याण करते हो जन- जन गायें नाम तेरा।
मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए
शब्दों की भीड़ में मैं कवि को ढूँढ़ रही हूँ शब्दों की भीड़ में मैं कवि को ढूँढ़ रही हूँ
सैनिकों के बलिदान पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नेताओं से नहीं ॥। सैनिकों के बलिदान पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नेताओं से नहीं ॥।
आतंकवाद से घिरे मंज़रों में सामान्य जन की पीड़ा को प्रदर्शित करती एक रचना !!!!!!! आतंकवाद से घिरे मंज़रों में सामान्य जन की पीड़ा को प्रदर्शित करती एक रचना !!!!!!!